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मन बेसबर (क्षणिका)



ऐ मेरे मन, ओ बेखबर!
तूं क्यूं भटकता है रे दर-बदर?
जब तेरा ठिकाना सिर्फ़ मैं
तो क्यूं तूं तलाशे सुकूं इधर-उधर?
तेरी अपनी सिर्फ़ मैं
तो क्यूं बने तूं मेरा दुश्मन ओ बेक़दर?
लौट...