अफसाना-ए-मुहोब्बत
इसी भ्रम में ता-उम्र मुंतज़िर रहे उनकी मुहोब्बत के
कभी तो नज़रे इनायत होगी उनकी मुझ पर
कभी तो पत्थर दिल पिघलेगा,
मेरी शिद्दत-ए-उल्फत देख कर
क्या क्या सितम सहे ज़माने के भी तेरे इश्क़ में हमने ...
कभी तो नज़रे इनायत होगी उनकी मुझ पर
कभी तो पत्थर दिल पिघलेगा,
मेरी शिद्दत-ए-उल्फत देख कर
क्या क्या सितम सहे ज़माने के भी तेरे इश्क़ में हमने ...