...

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आसान नहीं मन का बुध्द हो जाना
कविता का रूपक मन को करता झंकृत
दिल के अहसासों को करे शब्द में अलंकृत
गहरे समंदर सी है यह,डूब जाता है जहान
छोड़ती नहीं किसी को ,क्या धरती क्या आसमान
दिल से करे दिल की बातें,सुखद और सरल
उगलती है ये सुधा और निगल लेती गरल
हर मन की व्यथा या हो कोई आहत
कुछ न कहती,बस चुप रहकर देती है राहत
© 'Neh'