...

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दिल की बात
मुस्कराता है दिन,रो देती है रात!
अब बिन तुम्हारे किस से कहें दिल की बात!
आहट दरवाज़े की,तेरे आने की याद दिलाती है, एक उम्मीद सी कानों में दे जाती है I
कुछ नहीं रहता वहाँ, रह जाती हैं आशाएं खाली हाथ!
अब बिन तुम्हारे किस से कहें दिल की बात!
बहुत दूर चले गए हो, हाथों से छूट कर निगाहों में रह गए हो I
जो पूरी नहीं हो रही वो कमी हो तुम ,
साँसे ऐसे चल रही हैं, जैसे दे दी हो किसी ने खैरात I
अब बिन तुम्हारे किस से करें दिल की बात!