![...](https://api.writco.in/assets/images/post/user/poem/968200410075259442.jpg)
13 views
गलत है क्या?
मैं जो तेरा इंतज़ार करूँ तो गलत है क्या?
अपने दिन का हर एक लम्हा तुझ पर कुर्बान करूं तो गलत है क्या?
तुमने भी तो कई साल गुजारे हैं मेरे बिना,
मैं अपनी जिंदगी तेरी याद में बिता दूँ तो गलत है क्या?
वो जो तुम चले आते थे बेवक़्त,
सिर्फ एक झलक मुझे देखने को;
तेरी ना मोजूदगी में तेरा अक्स मैं चाँद में तराश लूँ तो, गलत है क्या?
छत पर मेरी, उड़ आते हैं, हजारों परिंदे हर रोज़,
उन्हें उड़ता देख तेरा ख्याल भी उड़ आये ,
जहन में मेरे, तो गलत है क्या?
बड़ी महफूज़ से रखी थी वो एक तस्वीर पुरानी,
नई तस्वीरों की आंधी में भी, उस एक तस्वीर को सहेजे रखूं,
तो गलत है क्या?
हाँ! माना चाहत तेरी बदल गयी,
वक़्त के तूफ़ाँ में कहीं फिसल गयी,
मगर इश्क़ तेरे लिए मेरा सच्चा था,
मोहब्बत का धागा हमारा, तेरी ओर से जरा कच्चा था,
पर फिर भी फितरत मेरी गैरों के जैसी नहीं,
आज भी मोहब्बत तुझसे उतनी ही करूँ तो, गलत है क्या?
अपने दिन का हर एक लम्हा तुझ पर कुर्बान करूं तो गलत है क्या?
तुमने भी तो कई साल गुजारे हैं मेरे बिना,
मैं अपनी जिंदगी तेरी याद में बिता दूँ तो गलत है क्या?
वो जो तुम चले आते थे बेवक़्त,
सिर्फ एक झलक मुझे देखने को;
तेरी ना मोजूदगी में तेरा अक्स मैं चाँद में तराश लूँ तो, गलत है क्या?
छत पर मेरी, उड़ आते हैं, हजारों परिंदे हर रोज़,
उन्हें उड़ता देख तेरा ख्याल भी उड़ आये ,
जहन में मेरे, तो गलत है क्या?
बड़ी महफूज़ से रखी थी वो एक तस्वीर पुरानी,
नई तस्वीरों की आंधी में भी, उस एक तस्वीर को सहेजे रखूं,
तो गलत है क्या?
हाँ! माना चाहत तेरी बदल गयी,
वक़्त के तूफ़ाँ में कहीं फिसल गयी,
मगर इश्क़ तेरे लिए मेरा सच्चा था,
मोहब्बत का धागा हमारा, तेरी ओर से जरा कच्चा था,
पर फिर भी फितरत मेरी गैरों के जैसी नहीं,
आज भी मोहब्बत तुझसे उतनी ही करूँ तो, गलत है क्या?
Related Stories
10 Likes
2
Comments
10 Likes
2
Comments