...

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जि लू थोडा
सोचती हू आज
खुद के लिए भी जि लू थोडा
छोड के जहेर् दुनिया के बोझ का
अपनी खुशियो का अम्रित् पी लू थोडा
उम्र तो बित जायेगी दुनिया के
रीत मे जिवन् ढालने मे,
पता होता अगर मुझको
बडी होके निभाने पडेंगे इतने...