पता है तुम्हें
पता है तुम्हें जब तुम आधुनिक बन रहे थे
कितने शौक से तुम उनका क़त्ल कर रहे थे
सुनो यह क़त्ल उनका नहीं मानवता का था
आज भी वृक्षों से जीवन है पहले भी था।।
Ppb
पूनम पाठक बदायूँ
© PPB
कितने शौक से तुम उनका क़त्ल कर रहे थे
सुनो यह क़त्ल उनका नहीं मानवता का था
आज भी वृक्षों से जीवन है पहले भी था।।
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