...

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पैमाना
कोई पैमाना तो बताओ, किस पर कितना ऐतबार करे,
जब सनम ही दरपरदा, हम पर जी भर के वार करे।।
एक उम्र गुजर चुकी है उसकी गलियों में आते- जाते,
कब तक एक शख्स का, और कितना इंतजार करे।।
इस बार फिर फीका ही रहा चांद मेरे आंगन का,
फिर भी उम्मीद है कि बस वो ही हमसे प्यार करे।
हमने कब ही कोई ख्वाहिश मांगी पर साफ-साफ इशारा तो हो,
गर खंजर ही छुपा रखा है तो मेरे सीने के आर-पार करे।।
थक चुके हम भी अब सफर से लौटने का मन है,
अब तो कोई छुट्टी मुकर्रर हो कोई तो इतवार करे।
वफाओं का दौर तो कब का गुजर चुका ऐ साकी,
कोई नहीं जो होश में हो और मयकदे से प्यार करे।।
#dying4her
©AK47
© AK47