गाँव आया
तोड़कर मैं उससे सारे घराँव आया !!
छोड़कर शहर मैं अपने गाँव आया !! १ !!
भरोसा ही इस कदर था जमाने पर
ठोकर लगी तो फिर कुदाँव आया !! २ !!
बहुत भटका हुआ राही हूँ यहां
चलते चलते मेरा भी ठाँव आया !! ३ !!
तुझसे मुकर जाऊं भी तो कैसे
नज़र जो तेरा करि-हाँव आया !! ४ !!
कड़ी धूप में जब साया न मिला
याद तेरी जुल्फों का छाँव आया !! ५ !!
सो रहे थे कब्र में चैन से उठ गए
अचानक जो सर पे तेरा पाँव आया !! ६ !!
तन्हाइयों की तपिश के बाद " कुंदन "
तेरे चेहरे पे अजब ही झाँव आया !! ७ !!
घराँव :- मेल-जोल
कुदाँव :- दांव-पेच
ठाँव :- ठिकाना
करि-हाँव :- कमर
झाँव :- रंग-ढंग
#कुन्दन_प्रीत
#कुंदन_ग़ज़ल
#कुंदन_कविता
#kundan_preet
#kundan_gazal
#kundan_kavita
#WritcoQuote
#Writing
© कुन्दन प्रीत
छोड़कर शहर मैं अपने गाँव आया !! १ !!
भरोसा ही इस कदर था जमाने पर
ठोकर लगी तो फिर कुदाँव आया !! २ !!
बहुत भटका हुआ राही हूँ यहां
चलते चलते मेरा भी ठाँव आया !! ३ !!
तुझसे मुकर जाऊं भी तो कैसे
नज़र जो तेरा करि-हाँव आया !! ४ !!
कड़ी धूप में जब साया न मिला
याद तेरी जुल्फों का छाँव आया !! ५ !!
सो रहे थे कब्र में चैन से उठ गए
अचानक जो सर पे तेरा पाँव आया !! ६ !!
तन्हाइयों की तपिश के बाद " कुंदन "
तेरे चेहरे पे अजब ही झाँव आया !! ७ !!
घराँव :- मेल-जोल
कुदाँव :- दांव-पेच
ठाँव :- ठिकाना
करि-हाँव :- कमर
झाँव :- रंग-ढंग
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