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समय
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
समझो इस पहेली को
जिसने किया है कर्म अब वक्त्त है उसका,
यह क्षण क्षण बीतता हुआ कुछ कह रहा,
कि दिन सप्ताह महीने साल,
कर्म किए जा और बना जीवन को बेमिसाल..
© pavanverma
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
समझो इस पहेली को
जिसने किया है कर्म अब वक्त्त है उसका,
यह क्षण क्षण बीतता हुआ कुछ कह रहा,
कि दिन सप्ताह महीने साल,
कर्म किए जा और बना जीवन को बेमिसाल..
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