क्या लाइफ को कभी उलटी तरह जिया है ?
क्या लाइफ को कभी उलटी तरह जिया है ?
खोने में सुख और पाने में दुःख का अनुभव कभी किया है ,
नीचे से ऊपर तक तो सभी जाना चाहते है ,
क्या ऊपर से नीचे गिरने का स्वाद कभी चखा है ?
क्या लाइफ को कभी उलटी तरह जिया है ?
आगे बढ़कर तो मंज़िल को पा लेते है सभी ,
क्या उलटे चलकर मंज़िल को कभी छुआ है ?
क्या लाइफ को कभी उलटी तरह जिया है ?
किताब सीधी हो तो मतलब सभी समझ लेते है ,
क्या उलटी किताब पकड़कर अर्थ को कभी समझा है ?
क्या लाइफ को कभी उलटी तरह जिया है ?
चढ़ते सूरज को तो सभी नतमस्तक करते है ,
क्या ढलते सूरज के आगे सिर कभी झुका है ?
क्या लाइफ को कभी उलटी तरह जिया है ?
दिल लगाने में जो मज़ा है ,
क्या दिल टूटने मे भी वही मज़ा लिया है ?
बात टेडी हो तो जल्द समझ आये सबको ,
बात सीधी हो तो लगती सज़ा है !
क्या लाइफ को कभी उलटी तरह जिया है ?
© Shweta k Thapliyal
खोने में सुख और पाने में दुःख का अनुभव कभी किया है ,
नीचे से ऊपर तक तो सभी जाना चाहते है ,
क्या ऊपर से नीचे गिरने का स्वाद कभी चखा है ?
क्या लाइफ को कभी उलटी तरह जिया है ?
आगे बढ़कर तो मंज़िल को पा लेते है सभी ,
क्या उलटे चलकर मंज़िल को कभी छुआ है ?
क्या लाइफ को कभी उलटी तरह जिया है ?
किताब सीधी हो तो मतलब सभी समझ लेते है ,
क्या उलटी किताब पकड़कर अर्थ को कभी समझा है ?
क्या लाइफ को कभी उलटी तरह जिया है ?
चढ़ते सूरज को तो सभी नतमस्तक करते है ,
क्या ढलते सूरज के आगे सिर कभी झुका है ?
क्या लाइफ को कभी उलटी तरह जिया है ?
दिल लगाने में जो मज़ा है ,
क्या दिल टूटने मे भी वही मज़ा लिया है ?
बात टेडी हो तो जल्द समझ आये सबको ,
बात सीधी हो तो लगती सज़ा है !
क्या लाइफ को कभी उलटी तरह जिया है ?
© Shweta k Thapliyal