...

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लम्हे
आज याद आ रहें हैं,
लम्हे बडे़ पुराने |
तन्हाईयों में जीकर,
हमने समय गुजारे |
रातें वही अंधेरी,
लहरों में भी हलचल,
सागर की गहराई,
जलपोत के तराने,
लम्हे बडे़ पुराने |
सुबह की सुनहरी,
अब धूप खिल चुकी है,
स्वप्न में ही उनसे,
मुलाकात हो चुकी है,
दूर- दूर होकर भी,
मन में बजे तराने,
लम्हे बडे़ पुराने |
© Devesh Shukla