...

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हमसफ़र बिना
शमा पिघलती रही रात ढलती रही
एक तमन्ना कलेजा मसलती रही
आंख नदी आंसुओं की उबलती रही
एक साया तसव्वुर में घूमा किया
तेरी याद आती रही याद जाती रही
तेरा प्यार दिल पे दाग बनता गया
तन्हाई रातों की शोले बरसाती रही
जो वादे किए थे न जाने क्या हो गये
दो कदम चलके तुम भी जुदा हो गए
वफ़ा मांगी तो जफा का अंधेरा मिला
मुझको कभी न मुक्कमल सवेरा मिला
मैं उम्र भर उजालों की नाकाम हसरत लिए
ज़िन्दगी भर अंधेरों से गुजरती रही