...

5 views

dard
सच कहूं ? तेरे मन में है ही नहीं
तू कभी निभाने की सोचता ही नहीं
तुझे मेरे दर्द कभी महसूस ही नहीं हुए
मैं निभाता रहा रिश्तों को अपना समझ के
तूने रिश्ते बदलने से खुद को रोका ही नहीं

हाँ नाराज़ तो रहा पर मैंने खुद को तेरी राहों पर ही रखा
और एक तू है जिसने मेरे अतीत को ही भुला दिया
तू चाहता तो मैं कभी ज़माने की भीड़ में खोता ही नहीं

जनाब आसाँ तो छोड़ना और सब को गवाना होता है
जिसके मन में वफाई की सच्चाई हो, वो कभी झूठा रोता ही नहीं

© pal❤️