...

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इंसान रूपी भेड़िया
मौन है ये जहां क्योंकि रही न तुझे खुद की परवाह तेरी।
बन जा तू खुद चंडी नारी, किस बात की तुझको है देरी?
दुःशासन से भरी ये दुनिया, भेड़ियों ने सभा लगा ली है,
उठ नारी तलवार उठा, बनना तुझे ही दुर्गा-काली है।
आदिकाल से अपमान सहा है, अब आयी तेरी बारी है,
महाभारत की बात अलग थी, कलयुग तो अत्यंत दुराचारी है।
क्यों पड़ी है सोच में स्त्री, यहां न माधव न गिरधारी हैं।
हो चुका इतना अपमान जहां में, प्रतिशोध तुझे ही लेना है,
अस्त्र उठा बन काली, अब संहार तुझे ही करना है।
बच्ची हों ,या हों युवतियाँ, सबको हमें सीखाना है,
नहीं कमजोर किसी से वे भी,पलट वार कर खुद को बचाना है।
कौन श्वान है कौन भेड़िया,गिद्ध कौन बच्चों को ये बतलाना है,
नारी शक्ति ही बड़ी है सबसे,ये सीख उन्हें समझाना है।
स्वयं की ताकत सबसे बड़ी है,पीछे तेरे दुनिया भी खड़ी है।
क्यों घबराई तू घूम रही है,तेरी हिम्मत तो जग में बड़ी है।
काट गला और आगे बढ़ तू,नारी तुझे अब झुकना नहीं है।
तू है दुर्गा तू है काली ,अब कभी किसी से डरना नहीं है।

Glory ❤️