आज जो
आज जो बरसो बाद पुछा है तुमने,
केसी लगती हू मे?
मुजे तो हर लिबास मे खूब सुरत ही लगती हो तुम।
क़्यो की मेने जब भीं देखा है,
मन की आंखो से ही देखा तुम्हे।
फिर केसे कह दू केसी लगती हो तुम।
क़्यो की मेने अपनी इन आखो से देखा परखा ही नही,
तुम चाहे अपने बालो मे गजरा लगाओ या फिर नही,
तुम चाहे हाथो मे कंगन पहनो या नही,
मुजे तो बस तुम्हारी सादगी से मतलब है,
कोई सोलह सिंगार करौ या ना करो तुम।
सोज़
© jitensoz
केसी लगती हू मे?
मुजे तो हर लिबास मे खूब सुरत ही लगती हो तुम।
क़्यो की मेने जब भीं देखा है,
मन की आंखो से ही देखा तुम्हे।
फिर केसे कह दू केसी लगती हो तुम।
क़्यो की मेने अपनी इन आखो से देखा परखा ही नही,
तुम चाहे अपने बालो मे गजरा लगाओ या फिर नही,
तुम चाहे हाथो मे कंगन पहनो या नही,
मुजे तो बस तुम्हारी सादगी से मतलब है,
कोई सोलह सिंगार करौ या ना करो तुम।
सोज़
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