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तेरा ज़िक्र
वहशत-ए-बेवफाई का आलम रहेगा
महफिलों में ना सही, मगर,
मुशायरों में तेरा ज़िक्र आम रहेगा
ज़माने के नशेबाजों में नाम रहेगा
मयखाने में जाते नहीं, मगर,
हाथ में नशा-ए-मुहब्बत का जाम रहेगा
तू मेरे ख्वाबों में भी अजीज रहेगा
अब तो हम सोते नहीं, मगर,
जब नींद आयी ख्वाबों में तेरा पहरा सरेआम रहेगा
© Shikha_
महफिलों में ना सही, मगर,
मुशायरों में तेरा ज़िक्र आम रहेगा
ज़माने के नशेबाजों में नाम रहेगा
मयखाने में जाते नहीं, मगर,
हाथ में नशा-ए-मुहब्बत का जाम रहेगा
तू मेरे ख्वाबों में भी अजीज रहेगा
अब तो हम सोते नहीं, मगर,
जब नींद आयी ख्वाबों में तेरा पहरा सरेआम रहेगा
© Shikha_
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