वो चाँद छुपा जा रहा था!
मेघ काले थे,
शायद बरसने वाले थे;
रैना होने को थी, शाम ढलने को थी,
लालिमा बिखेरे सूर्य जाने को था;
तब एक तरफ़ से नूर ले,
वो चाँद छुपा जा रहा था!
.
आँख-मिचौली खेलते वो आने को तैयार न था,
यहाँ अधीर मन अर्श से नज़रें हटाने को तैयार न था;
इस चकोर को बेचैन छोड़,
ढलती शाम में अपनी हल्की सी चाँदनी बिखेरे,
बादलों की आड़ में खेल रहा था,
वो चाँद छुपा जा रहा था!
.
उस क़मर ने इस महरुम दिल को किसी की याद दिला दी,
इस...
शायद बरसने वाले थे;
रैना होने को थी, शाम ढलने को थी,
लालिमा बिखेरे सूर्य जाने को था;
तब एक तरफ़ से नूर ले,
वो चाँद छुपा जा रहा था!
.
आँख-मिचौली खेलते वो आने को तैयार न था,
यहाँ अधीर मन अर्श से नज़रें हटाने को तैयार न था;
इस चकोर को बेचैन छोड़,
ढलती शाम में अपनी हल्की सी चाँदनी बिखेरे,
बादलों की आड़ में खेल रहा था,
वो चाँद छुपा जा रहा था!
.
उस क़मर ने इस महरुम दिल को किसी की याद दिला दी,
इस...