...

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जब पुरानी किताबें बोलीं..
#अनपढ़पन्ने

"बड़ी तबीयत से लिखा गया हमें भी,
शायरों के दिल की कलम से कभी,
आज हमारा कोई न तलबगार रहा,
बदलता वक्त...