जय जय महाकाल
मैं आदि हूँ,अंत हूँ
मैं ही ब्रह्मांड अनंत हूँ।।
मैं मौन हूँ, मैं शोर हूँ
मैं ही मैं चहु ओर हूँ।।
मैं गीत हूँ, मैं साज हूँ
मैं कल हूँ मैं आज हूँ।।
मैं असंख्य रूप धारक हूँ
मैं ही पालक संहारक हूँ।।
सुध में भी बदहोश हूँ
मैं गूँजता खामोश हूँ।।
मैं हूँ जन- जन में, व्याप्त
सृष्टि के कण -कण में ।।
मैं ढाल हूँ, अबूझ सवाल हूँ
काल का कोई नही,मैं स्वयं महाकाल हूँ।।
तू क्षीण है तू नश्वर है
मानता मुझे तू ईश्वर है ।।
तू क्यों पड़ा निर्जीव है
महाकाल बना तेरा शिव है ।।
__अभिषेक सिंह
🙏🙏हर हर महादेव 🙏🙏🙏
मैं ही ब्रह्मांड अनंत हूँ।।
मैं मौन हूँ, मैं शोर हूँ
मैं ही मैं चहु ओर हूँ।।
मैं गीत हूँ, मैं साज हूँ
मैं कल हूँ मैं आज हूँ।।
मैं असंख्य रूप धारक हूँ
मैं ही पालक संहारक हूँ।।
सुध में भी बदहोश हूँ
मैं गूँजता खामोश हूँ।।
मैं हूँ जन- जन में, व्याप्त
सृष्टि के कण -कण में ।।
मैं ढाल हूँ, अबूझ सवाल हूँ
काल का कोई नही,मैं स्वयं महाकाल हूँ।।
तू क्षीण है तू नश्वर है
मानता मुझे तू ईश्वर है ।।
तू क्यों पड़ा निर्जीव है
महाकाल बना तेरा शिव है ।।
__अभिषेक सिंह
🙏🙏हर हर महादेव 🙏🙏🙏