...

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ग़ज़ल
१२२२-१२२२-१२२

हमें हर बार तोड़ा है किसी ने
कहाँ फिर हमको जोड़ा है किसी ने

बदन में ख़ून का क़तरा नहीं है
मुझे ऐसा निचोड़ा है किसी ने

चली जब-जब भी गाड़ी ज़िंदगी की
लगाया उसमें रोड़ा है किसी ने

मैं नाज़ुक हूँ बहुत ये...