...

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भगवान
जो लोग दावा करते हैं हर ख़ुशी खरीदने का
उनसे पूछिये उनके खुद का हाल जरा
नहीं मिलती ख़ुशी दुनिया के बाज़ार में कही
नहीं मिलता प्रेम इस स्वार्थ के बाज़ार में
हो इनायत रब की तभी मन मुस्कुराता है
प्रभु भक्ति से ये संतोष से भर जाता है
संतोषी मन सदा सुखी ,यही मंत्र है खुशी का
जहां सन्तोष वही रिश्तों में भी प्रेम महका ।
यही मंत्र अपने मन में सजा लें जरा ।