कुछ सपने अधूरे से,,
यूंही अकेला चल दिए छोड़कर जमाने को,
कुछ भटके हुए किस्से कुछ अरमान जगाने को,,
तेरे लिए रोकर आंखो को लाल किया,
उन बिखरे हुए आंसुओं को उनका हिस्सा दिलाने को,,,
पागल था जो समझ लिया तुमको अपना,
खुद को खुद से असलियत में मिलाने को।।
© Khamosh Ishq ♥️
कुछ भटके हुए किस्से कुछ अरमान जगाने को,,
तेरे लिए रोकर आंखो को लाल किया,
उन बिखरे हुए आंसुओं को उनका हिस्सा दिलाने को,,,
पागल था जो समझ लिया तुमको अपना,
खुद को खुद से असलियत में मिलाने को।।
© Khamosh Ishq ♥️