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स्वाधीनता की कहानी
आओ जरा याद करें स्वाधीनता की वो कहानी
सुन कर तुमको भी लगेगी वो जानी पहचानी
जली ज्वाला 57 में चमकी एक तलवार पुरानी
दिया वीरता का परिचय ,थी झांसी की वो रानी
मेरठ छावनी से एक टुकड़ी दिल्ली हुई रवाना
जिसने बूढे बाहदुर को अपना शासक माना
इस क्रांति ने अंग्रेजो की जड़ से नीव हिलाई थी
हिन्दुस्तानी है एक पहचान
इसकी लोगो को याद दिलाई थी
खुदीराम जी चढे फाँसी पर महज 18साल में।
भरा था अटूट देशप्रेम इस माटी के लाल में।
टंट्या भील ने भी उठा लिए थे हाथों में अपने तीर कमान
देकर अपने प्राणों को रखा...