तुम्हारा शुक्रिया मेरे सपनो में आने के लिए।
जब- जब जिन्दगी की दौड़ में,
मैं खुद को पिछड़ा पाता हूं और हो जाता हूं तन्हा,
जब ये दुनिया,ये समाज,ये राजनीति लगने लगती है बुरी और काटने लगती है बेचैनियाँ।
तब-तब हर बार मेरे स्वपन में आई हो तुम,एक उम्मीद की तरह और सोचने लगता हू की
...
मैं खुद को पिछड़ा पाता हूं और हो जाता हूं तन्हा,
जब ये दुनिया,ये समाज,ये राजनीति लगने लगती है बुरी और काटने लगती है बेचैनियाँ।
तब-तब हर बार मेरे स्वपन में आई हो तुम,एक उम्मीद की तरह और सोचने लगता हू की
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