...

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याद पुरानी
जिसे कभी अंधेरे से डर लगता था
उसे क्यूं अब ये रात सुहानी लगती है
देखकर लगता है उसे हुई शुरु एक
और नई कहानी अनजानी लगती है
रात भर निहारा करती है आकाश को
न जाने चांद मे किसका चेहरा तकती है
अगर रख दूं आईना नजरो के आगे
सामने वही अनजानी दिखती है
ना देखें जिस दिन उसको तो
एक याद पुरानी लगती है