अंतः अस्ति प्रारंभः
जब वो छोड़ के चली गई, टूट गया था ये जहां,
महीनों कमरे में कैद, बस आँसू और दर्द बेपनाह।
किताबों में ढूंढी तसल्ली, लिखकर बयां किया हाल,
दुनिया से कटा रिश्ता, दिल में बस एक सवाल।
मुश्किल से उबरा खुद को, संभाला जब ये दिल,
उसकी शादी की खबर सुन,फिर भर आया ये कसक से भरा पल।
आईने में देखा खुद...
महीनों कमरे में कैद, बस आँसू और दर्द बेपनाह।
किताबों में ढूंढी तसल्ली, लिखकर बयां किया हाल,
दुनिया से कटा रिश्ता, दिल में बस एक सवाल।
मुश्किल से उबरा खुद को, संभाला जब ये दिल,
उसकी शादी की खबर सुन,फिर भर आया ये कसक से भरा पल।
आईने में देखा खुद...