कुछ ख्वाहिशें
कुछ खवाइशे अधूरी ही
अच्छी लगती है..।।
गलत लगता है ख्वाबों को देखना
अब किस्मत की मजबूरी ही
सच्ची लगती हैं..।।
जो था यकीं अपने इरादों पे
अब तो उन इरादों की डोरी ही
कच्ची लगती हैं..।।
कुछ खवायिशे अधूरी ही
अच्छी लगती हैं..।।
अच्छी लगती है..।।
गलत लगता है ख्वाबों को देखना
अब किस्मत की मजबूरी ही
सच्ची लगती हैं..।।
जो था यकीं अपने इरादों पे
अब तो उन इरादों की डोरी ही
कच्ची लगती हैं..।।
कुछ खवायिशे अधूरी ही
अच्छी लगती हैं..।।
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