...

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" आत्मविश्वास "

ज़िंदगी से लड़ने की क्षमता हो मुझमे
हर पल आगे बढ़ने की ललकता हो मुझमे
उस खरगोश की तरह फुर्ती ना सही
पर उस कछुए की तरह निरंतरता हो मुझमे
जब भी असफलता के बदल छाए
तो धरती सा धैर्य हो मुझमे
जब भी लडू ज़िंदगी से
झाँसी की रानी सा शौर्य हो मुझमे
कदम मेरे कभी पीछे ना हटे
इतना खुद पर जोर हो मुझमे
चलने को तो सभी चल रहे है
पर मैं चलू ऐसे की जहां बदल सकू
कुछ ऐसा जोश हो मुझमे
खुद को इतना सफल बना लू
की देश को सफल बनाने का बोझ हो मुझमे


© Gayatri Dwivedi