सिलसिला
एक जजीरे की तलाश में कश्ती कहाँ तक पहुँच गयी,
हम चुप रहे फिर भी बात यहाँ तक पहुँच गयी।
हमें मालूम तो नहीं था ये अंजाम-ए-मोहब्बत,
न जाने कब बात मेरी जाँ तक पहुँच गयी।।
हमने पढ़ें थे कई किस्से इश्क में बेवफाई के,
यकीं तब हुआ जब बात मेरे मकां तक पहुँच गयी।
इन आंखों ने तो बस एक ही चेहरा मांगा है दुआओं में,
ये हिज्र की बात न जाने कैसे अजाँ तक पहुँच गयी।।
उसके महफ़िल में तो कई लोग हैं फिर भी क्यूँ साकी,
हमसे ही रुसवाई के चर्चें सबके जुबां तक पहुँच गयी।
अब इतनी अदाकारी भी नहीं कि आंसू छुपा सके अपने,
वो बहुत उदास होगी गर बात मेरी माँ तक पहुँच गयी।।
#dying4her
©AK47
© AK47
हम चुप रहे फिर भी बात यहाँ तक पहुँच गयी।
हमें मालूम तो नहीं था ये अंजाम-ए-मोहब्बत,
न जाने कब बात मेरी जाँ तक पहुँच गयी।।
हमने पढ़ें थे कई किस्से इश्क में बेवफाई के,
यकीं तब हुआ जब बात मेरे मकां तक पहुँच गयी।
इन आंखों ने तो बस एक ही चेहरा मांगा है दुआओं में,
ये हिज्र की बात न जाने कैसे अजाँ तक पहुँच गयी।।
उसके महफ़िल में तो कई लोग हैं फिर भी क्यूँ साकी,
हमसे ही रुसवाई के चर्चें सबके जुबां तक पहुँच गयी।
अब इतनी अदाकारी भी नहीं कि आंसू छुपा सके अपने,
वो बहुत उदास होगी गर बात मेरी माँ तक पहुँच गयी।।
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