जब कलम उठाई हमने...
कुछ तो पढ़ने लगे है,
कुछ तो जलने लगे है,
"वाह वाह, क्या लिखा है! "
"क्या तुमने यह लिखा है? "
"क्या ये तुमने लिखा है? "
ऐसे सवाल भी कुछ करने लगे है,
जब कलम उठाई हमने ।
पुरस्कार भी मिला है,
तिरस्कार भी मिला है,
चर्चा अब चारों तरफ होने लगा है,
जब कलम उठाई हमने ।
ऐसे न चुराओ हमारा शब्द,
ऐसे न चुराओ हमारी कहानी,
चुरा लिया तो क्या पाओगे?
हमारी कल्पनाओं को एक मुट्ठी में
संभल भी न पाओगे।
अजनबी खयालों को
अपना बनाया हमने,
रात रात भर दो नैनों में
शब्दों का गुलदस्ता सजाया हमने,
जब कलम उठाई हमने।
© Archana Maharana (Lucky)
#thoughtsofarchanalucky
कुछ तो जलने लगे है,
"वाह वाह, क्या लिखा है! "
"क्या तुमने यह लिखा है? "
"क्या ये तुमने लिखा है? "
ऐसे सवाल भी कुछ करने लगे है,
जब कलम उठाई हमने ।
पुरस्कार भी मिला है,
तिरस्कार भी मिला है,
चर्चा अब चारों तरफ होने लगा है,
जब कलम उठाई हमने ।
ऐसे न चुराओ हमारा शब्द,
ऐसे न चुराओ हमारी कहानी,
चुरा लिया तो क्या पाओगे?
हमारी कल्पनाओं को एक मुट्ठी में
संभल भी न पाओगे।
अजनबी खयालों को
अपना बनाया हमने,
रात रात भर दो नैनों में
शब्दों का गुलदस्ता सजाया हमने,
जब कलम उठाई हमने।
© Archana Maharana (Lucky)
#thoughtsofarchanalucky