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रिश्ते कम वृद्धाश्रम ज्यादा बढ़ रहे हैं...✍️✍️
न जाने लोग ये कैसा पाठ पढ़ रहे हैं
रिश्ते कम वृद्धाश्रम ज्यादा बढ़ रहे हैं


नौ माह गर्भ में रखके उम्र भर है पाला
तुझे तरस न आया घर से ही निकाला
दो गज जमीं के लिए दिन रात लड रहे हैं
रिश्ते कम वृद्धाश्रम ज्यादा बढ़ रहे हैं

खोखली होती जा रही आज की पीढ़ी
जुआरी शराबी बच्चे पीने लगे हैं बीड़ी
करके बुलन्द लहजा छाती पे चढ़ रहे हैं
रिश्ते कम वृद्धाश्रम ज्यादा बढ़ रहे हैं

रिश्ते टूटते हैं...