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कमी जो कभी पूरी नहीं हो सकती...
रह जाती हैं केवल इंसान की यादें,
जब वो चले जाते हैं,
कितनी भी कोशिश करने पर
किसी को कहाँ रोक पाते हैं।
पता नहीं कौन कब शाख से, पत्तों की तरह बिछुड़ जाते हैं।
पर जो चले जाते हैं खुदा के घर,
फिर वो लौटके नहीं आते हैं।
आँखों से अश्रु निकलते हैं,
जब अपने हमसे बिछुड़ते हैं,
जाने वाले सदस्य की घर में,
कभी कमी पूरी कहाँ कर पाते हैं।
{VK SAMRAT) *सम्राट *
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