तुम मेरा चराग हो!
मै इश्क में पागलपन नहीं करता
जब बात जूनूँ की हो तो
मैं हद पार नहीं करता
मैं अपनी मोहब्बत से वाकिफ तो हूँ लेकिन
ज़ब कोई मुझसे मोहब्बत करे
तो उसे बेजार नहीं करता
हर तरफ धुँवा है आसमान ही तो किनारा है
जन्नत जब उस पार हो तो
कश्तीयों को इशारा नहीं करता
मेरी जान के सदके तुम मेरी जान हो
दो...
जब बात जूनूँ की हो तो
मैं हद पार नहीं करता
मैं अपनी मोहब्बत से वाकिफ तो हूँ लेकिन
ज़ब कोई मुझसे मोहब्बत करे
तो उसे बेजार नहीं करता
हर तरफ धुँवा है आसमान ही तो किनारा है
जन्नत जब उस पार हो तो
कश्तीयों को इशारा नहीं करता
मेरी जान के सदके तुम मेरी जान हो
दो...