...

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किताब और चांद।
मैं तुमसे उतना ही प्यार करता हूं,
जितना मैं किताबों से करता हूं।

मैं तुमसे वैसे ही प्यार से देखता हूं,
जैसे मैं उस चांद को देखता हूं।

किताब और चांद तो कुछ भी नहीं .....।

मैं तुमसे ऐसे ही प्यार करता हूं,
जैसे मैं ज़िंदगी से करता हूं।
: कुमार किशन कीर्ति।
© कुमार किशन कीर्ति

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