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प्रेम पुष्प
ओस की बूंदे
जैसे पुष्प की पंखुड़ियों पर
अपनी छटा बिखेरती हैं...!
जैसे शरद ऋतु की प्रभात
सूरज की लालिमा से
दमकती है...!
जैसे हरित हुई धरा में
चहुं ओर
हरियाली झलकती है...!
वैसे ही, मेरे हृदय में
प्रेम पुष्प
तुम्हारे नाम से पल्लवित हुआ है..!
हां;
मैं प्रेम में हूं
मैने तुम्हें हृदय में धारण किया है
मैं केवल तुम्हारी हूं....!
© अपेक्षा
जैसे पुष्प की पंखुड़ियों पर
अपनी छटा बिखेरती हैं...!
जैसे शरद ऋतु की प्रभात
सूरज की लालिमा से
दमकती है...!
जैसे हरित हुई धरा में
चहुं ओर
हरियाली झलकती है...!
वैसे ही, मेरे हृदय में
प्रेम पुष्प
तुम्हारे नाम से पल्लवित हुआ है..!
हां;
मैं प्रेम में हूं
मैने तुम्हें हृदय में धारण किया है
मैं केवल तुम्हारी हूं....!
© अपेक्षा
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