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प्रेम
शक की एक घड़ी रिश्तों में दरार ले आती है
जन्मों के रिश्तों में नफ़रत की दीवार ले आती है !
न आने दो अपने प्यार के बीच किसी को
प्यार करने वालों में वरना तकरार ले आती है !
तेरे मेरे इश्क़ का अब आलम ही न पूछो
ये बेमौसम में भी प्यार की बौछार ले आती है !
कुछ रिश्ते बंधन के मोहताज़ नहीं होते
रिश्तों की गहराई ख़ुद ही अधिकार ले आती है !
इतनी दुःख सह कर जो पालती सबको
माँ भी क्या सोच के संसार में ले आती है !
तुनकमिजाजी भी अलग अहमियत रखती अनु
वो प्यार में ख़ूबसूरत सी मनुहार ले आती है !
© गुलमोहर
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