मेरे जीवन के मित्र
यू तो आज बहुत खुश हूं मे,
पर थोड़ा- सा उदास भी हूं मे |
आज खाली बैठे - बैठे सोच रहा हूं ,
मे जी रहा हूं या फिर मर रहा हूं |
मेरा आज खुद से ये सवाल है,
शिवम तू क्यों इतना पागल है |
क्यों करता है तू विश्वास सब पर,
अंत मे वो ही करते हैं प्रहार तुझ पर |
फिर भी तू अंजाना है कुछ नहीं समझने वाला है,
छल तुझको कभी समझ न आया न ही तू छल करने वाला...
पर थोड़ा- सा उदास भी हूं मे |
आज खाली बैठे - बैठे सोच रहा हूं ,
मे जी रहा हूं या फिर मर रहा हूं |
मेरा आज खुद से ये सवाल है,
शिवम तू क्यों इतना पागल है |
क्यों करता है तू विश्वास सब पर,
अंत मे वो ही करते हैं प्रहार तुझ पर |
फिर भी तू अंजाना है कुछ नहीं समझने वाला है,
छल तुझको कभी समझ न आया न ही तू छल करने वाला...