...

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Ishq kitabon sa...
इश्क किताबो सा किया
खुद से जो मन करा लिख दिया,
ज़ितना समझ आया उतना
समझ लिआ ,

मुडे पन्ने देखे
शायद किसी ने
मुझे मेरे बाद पढ़ लिआ हो ,

जो मन किया कह दिया
मन तोह हलका हो गया
पर दिल तनहा ही रहा ,

कभी हिसाब किताबो पर
नहीं किया,
क्यूंकी याद तोह बेहिसाब थी ,

उस सुर्ख गुलाब सा इश्क मेरा
जो दबा था किताब के पीछे
पता नहीं कैसे मिला भी तुम्हे
क्यू ?
उसकी महक तुमसे ही थी ❤️
© Miss Thinker