अनकही पुराने दास्ता
कई रात गुजारी है इस अंधेरे में तुम थोड़ा सा नूर लाओगे।
मेरे तकिए गीले है इन आसूंओं क्या तुम मुझे अपने गोद मे सुलाओगे ।
सुना है बाग है तुम्हारे आंगन में मेरे ला हासिल बचपन का झूला दिखाओगे ।
मैने खोई है हर अपनी प्यारी चीज को जो अपनी हर किस्मत की लड़ाई से बचाओगे।
अब मैं फिर लड़ना चाहता हूं क्या अपने इस झूठी सी तसल्ली को सपनो में सजवाओगे।
© genuinepankaj
मेरे तकिए गीले है इन आसूंओं क्या तुम मुझे अपने गोद मे सुलाओगे ।
सुना है बाग है तुम्हारे आंगन में मेरे ला हासिल बचपन का झूला दिखाओगे ।
मैने खोई है हर अपनी प्यारी चीज को जो अपनी हर किस्मत की लड़ाई से बचाओगे।
अब मैं फिर लड़ना चाहता हूं क्या अपने इस झूठी सी तसल्ली को सपनो में सजवाओगे।
© genuinepankaj