आजका इंसान
आज कल नहीं दीखते किसीमे भाव
किसी से आशा नहीं होती
फिर भी मिलते है घाव
पानी है बहुत पर अकेली...
किसी से आशा नहीं होती
फिर भी मिलते है घाव
पानी है बहुत पर अकेली...