...

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दो अजनबी...
#गुज़रतेअजनबी
अनजान-सी राहों पर दो अजनबी मिले थे
मुसाफिर भले ही अलग थे पर मंजिल एक थी
कुछ पल के लिए,
कुछ लम्हों के बाद मंजिल बदली
मुसाफिर भी बदले और सफर भी छूटा
निकल पड़े दोनों अपनी विपरीत राहों पर
हमेशा के लिए,
न जाने कौन सी करवट लेगी जिंदगी उनकी
न जाने मंजिल मिलेगी या नहीं
न जाने सफर में आगे बढ़ेंगे या बीच में ही हौसला टूटेगा
न जाने साबित कर पाएँगे ख़ुद को या नहीं
न जाने जीतेंगे या हारेंगे लड़ कर
या फिर झुक जाएँगे परिस्थितियों के सामने
बिना एक-दूजे के
खैर वे तो कोशिशें बताएँगी कि क्या होगा आगे
टूटेगा हौसला या फिर मंजिल मिलेगी
आगाज को मिलेगा अंजाम या फिर मुँह की खानी होगी
कभी मिलेंगे भी या नहीं भविष्य में
या यूं ही चलते रहेंगे विपरीत राहों पर
हमेशा के लिए........।