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अंतरमुखियों को आरक्षण।
करो कोई अंतरमुखियो के आरक्षण की बात।
क्योंकि है यह भी शोषित, वंचित एक जात।
मिलेंगे कब उनको समान अवसर बोलने के!
झिझकते मन से कांपते अधर खोलने के!
वो बोल नहीं पाएंगे, बस सहते ही जायेंगे।
वे नहीं करेंगे अपने हक की बात।
वे नहीं करेंगे सभा बीच संवाद।
छुप कर कहीं अकेले खुद से दुखड़ा रो लेंगे।
अश्रु, जल से मिल कर मुखड़ा धो लेंगे।
क्षण-क्षण में उनको यह होता रहता एहसास।
बात कहने से कहीं न उनका हो जाए उपहास।
भले ही रहेंगे चुप चाप, लिए मंद मुस्कान।
किंतु उनको है सब दुनियादारी का ज्ञान।
न कर पाएंगे प्रश्न और न उत्तर ही दे पाएंगे।...