...

1 views

kab tak sok mnyaye mali
कब तक शौक मनाए माली ??
_
लूट गया जो पतझड़ गुलशन
लेकर हर सुमन की लाली
कब तक इसपर हाय करे
कब तक शौक मनाए माली ???
शौक छोड़ सुन ओ माली
व्यर्थ में न आशाएं मिच
सुमन के आहार जल से
अपने उपवन को सींच
प्यासे को पानी जो मिल जायेगा
सुमन सुमन फिर खिल जाएगा
व्यर्थ में सिसक के ये वक्त गवाने से
सिर्फ़ अफसोस ही हाथ में आएगा ..
जीवन भी एक गुलशन है
और हम सब इसके माली है
कुछ रंग बिरंगे सपनों से भरे हुए हम
और कुछ किस्मत से रीते खाली हैं
कभी मस्त बहार सुंदर सलोने सपने दिखलाए
तो कभी तेज बयार उन सपनों को चकनाचुर करे
कभी वक्त की बारिश तख़्त-ओ-ताज दिलाए
तो कभी वक्त का पतझड़ मजबूर करे
पर सुन ओ माली सब्र और उम्मीद न हार
अपने आसमानी होशले से हर मजबूरी का कर संहार
अपने जिद -जूनून की लिख कहानी
अपने हक का छीन ले पानी ....



© Rajeev Ranjan