मृगतृष्णा
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
तन्हाई को बाजुओं में भर रहा कोई
पतझड़ से घायल है
हृदय में हुंकार हुई
सावन का इंतजार कर रहा कोई
प्रीतम अनजान है उलझी सी राह है,
ठंडी सी चल रही शुष्क बयार है
आंखों में उदासी का मंजर है
साजन दूर हैं,हृदय हुआ बंजर है
गति धीमी है सांसों की
चुभ रहा सीने में कोई खंजर है,
अरमान खाक हुए, मुसाफिर थक गया
मंजिल रूठ गई , कोहरा हटाता नहीं,
कस्तूरी की चाह में प्रीतम
मृग रास्ता भटक गया.......💕💕💕💕💕🔥🔥🔥🔥🔥
#दूर #चाह #sweetess of words #truth #love
© All Rights Reserved
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
तन्हाई को बाजुओं में भर रहा कोई
पतझड़ से घायल है
हृदय में हुंकार हुई
सावन का इंतजार कर रहा कोई
प्रीतम अनजान है उलझी सी राह है,
ठंडी सी चल रही शुष्क बयार है
आंखों में उदासी का मंजर है
साजन दूर हैं,हृदय हुआ बंजर है
गति धीमी है सांसों की
चुभ रहा सीने में कोई खंजर है,
अरमान खाक हुए, मुसाफिर थक गया
मंजिल रूठ गई , कोहरा हटाता नहीं,
कस्तूरी की चाह में प्रीतम
मृग रास्ता भटक गया.......💕💕💕💕💕🔥🔥🔥🔥🔥
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