...

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मैं फलसफा , मैं विज्ञान
मैं नीचे रहनेवाला,एक मनुष्य,
मेरे दरमियान, इर्द गिर्द ही है,
पूरी दुनियां मैने देखी नहीं हूं,

सम्पूर्ण आकाश को मनुष्य अभितक देखा नहीं है,
अभितक उसकी सोच से परे,
अनेक लोक होंगे,
स्वर्ग होगा,
नर्क होगा,
कथा कथित,
परंतु विज्ञान से परे,

सत्कर्म-दुष्कर्म,
कथाकथित तो नहीं है,
'मनुष्य ' मनुष्य तब कहलाता है ,
जब सत्कर्म समाहित होता है,

मेरी दुनियां छोड़ने के बाद,
सभिलोक कहेंगे 'स्वर्गीय '.…,
अंततः आशा है,कहेंगे,
"एक अच्छे इंसान थे।"
© Aditya N. Dani #writer