जब उम्मीदें मरती हैं...
कुछ बातें, कुछ लफ़्ज़, ज़हन में ऐसे असर कर जाते हैं
शोक, निराशा और अंधेरा दिल में घर कर जाते हैं
केवल सांसों का रुकना ही तो, मौत नहीं कहलाता है
जब उम्मीदें मरती...
शोक, निराशा और अंधेरा दिल में घर कर जाते हैं
केवल सांसों का रुकना ही तो, मौत नहीं कहलाता है
जब उम्मीदें मरती...