...

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और नहीं
और नहीं भारत रोको
हर बात पे देश जलाओ न
नुकसान देश का कर खुद हीं
गुरबत की बात सुनाओ न
अब और नहीं भारत रोको ....
हाँ मांगे तेरी उचित भी हो
पर क्या तेरा अधिकार है
देश रोक कर रोटी छीना
कैसा यह न्याय पुकार है
अब और नहीं भारत रोको ....
अपने घायल बेटे को लेकर
वह बूढा बाप किधर जाए
हर रास्ते कब्जे में तेरे
जुल्मो का उस पर कहर धाए
अब और नहीं भारत रोको .....
बस ट्रेन जला डाली तुमने
हॉस्पिटल न स्कूल बचा
भारत के भाल पर कालिख मल
क्या खूब है यह इतिहास रचा

© eternal voice नाद ब्रह्म