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केकैयी के प्यारे राम...
वो दशरथ नंदन बडे कुंवर
केकैयी को बडे ही प्यारे थे
पर विधि ने क्या कुचक्र रचे
वन जाएगे श्री रामचंद्र
कारण उनको ही बनाए थे
कुछ क्षण को मति मारी गयी
जो मंथरा उनकी सगी हुई
जिन्हे दूध पीलाया छाती का
उनसे ही दुश्मनी ठानी गयी
है विचित्र चरीत्र नारी का भी
जिसे कोई नही समझ पाया
कभी रौशन लगे चंद्रमा जैसी
कभी काली अंधेरी सी छाया।।
जो लिखा था आखिर वही हुआ
पर कर्ता...