Dear...
क्यूं बहक जाती हो तुम वफ़ा के नाम पे
वहशी घूमते हैं चौबार में
सजाती हो तुम जिस घर को प्यार से
वहीं करता है वहशी पैंतीस टुकड़े
तुम्हारे दिल के ही नहीं
बदन के हर भाग के
तड़प उठती रही होगी
तुम हर एक वार पे
फिर भी ना पसीजा दिल उसका तनिक
कर दिया टुकड़ों में तुम्हारा वहशी ने जिस्म...
© Neel ✍🏻
वहशी घूमते हैं चौबार में
सजाती हो तुम जिस घर को प्यार से
वहीं करता है वहशी पैंतीस टुकड़े
तुम्हारे दिल के ही नहीं
बदन के हर भाग के
तड़प उठती रही होगी
तुम हर एक वार पे
फिर भी ना पसीजा दिल उसका तनिक
कर दिया टुकड़ों में तुम्हारा वहशी ने जिस्म...
© Neel ✍🏻